बस दिल ही तो है
हम यहीं तो थे
पकते सूरज के पहिये पकड़े शाम को रात बनाते थे
मखमल सपनो पे रफू करते दिल को दिल से जोड़ते थे
अब सब वजह , बेवजह
बुनते तो है
बस दिल ही तो है
मेरे दिल के चक्कर कई पुरानी है
कानो से बेहरा , कुछ सुनता नही है
थके आंखे , सूखे आंसू
कितना टूटे ये दिल
दिल ही तो है
तुमको ढूंढे हर कहीं
बस याद क्यों बन जाना
दिल पे सोते , दिल मे जागते
थामे क्या पैमाना
कितने बिखरे शाम सवेरे
कितनी जो बड़ी होगी दिल
दिल ही तो है
इश्क़-ए-दरियां गली भटकती
खोजे सुकूँ , राह न मिलती
ना कोई मुंसिफ , ना कोई काजी
किस से माँगू , बने कौन मेरा राही
मन-महल जो कहीं न ठहरी
भटके लम्हे कैद करती है
बस दिल ही तो है
बस दिल ही तो है
💞💞bwahhh
ReplyDeleteThonksss
DeleteBhai...bhaai...bhai...💓💓💓...
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