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मैं आशिक़ हूँ , मैं उस गली का आशिक़ हूँ जिसमे कोई खूबसूरत रहती है । मैं ही तो बरसो पहले रांझा था , मैं ही तो महिवाल था , मेरे लिए ही तो साहबा ने अपने भाइयों के साथ दगा कर दिया था , मुझे ही तो जूलिएट ने मार दिया था , तो वो मैं ही था । बरसो से मैं ही चलता आ रहा हूँ , मैं ही प्रेम करता आ रहा हूँ । मैं ही धोखे खा रहा हूँ । उन धोखो से दोबारा प्रेम का जनम हो रहा हैं और मैं दोबारा प्रेम करता जा रहा हूँ
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