झोली

ख़यालों में लाखो बातें हो यू
सूरज ढले मेरा शाम तुम्हारा हो क्यों
टूटे तारे , सपने तोड़े
ये फ़कीरी मर्ज ना हो क्यों
महक महक अब सड़क सड़क
 संग-राही अपना खुद भी हूँ
तुम गुजरती तो बात अलग थी
तुम मछली मैं लहर का पानी हूँ
मेरे प्रेम दीवाने हज़ार थे
मैं शून्य पे सवार था
नज़्म पे भीगे आसमा को
आदत डालने चला था
ये देश है जिंदा लाशों का
ऐ चाँद यहाँ ना निकला कर
प्रेम हवाओं का मेरे सीने से
गहराई सुलझती ना मगर
आँखों की झोली सुखी परी अब
इश्क़ नाकाबंदी कर
इश्क़ नाकाबंदी कर

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